Red Section Separator

रामायण कालीन कथाओं से जुड़ा है देवधारा जलप्रपात का इतिहास

देवधारा जलप्रपात छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले की मैनपुर से गरीब 35 किलोमीटर घनघोर उदंती के जंगलों में स्थित है।

पौराणिक मान्यता अनुसार, भगवान राम के बनवास के कुछ पल इन्हीं देवधारा के वादियों में व्यतीत किए गए थे, जिस वजह से इस विशाल जलप्रपात का नाम देवधारा जलप्रपात पड़ा।

देवधारा जलप्रपात यूं तो प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है। चारों तरफ हरी-भरी खूबसूरत वादियों को देखकर जीता जागता स्वर्ग का अनुभव होता है।

देवधारा की इस पावन भूमि पर कभी भगवाना श्री राम जानकी लक्ष्मण अपने वनवास काल के समय यहां आए थे और यहां उनकी आने का कुछ साक्ष्य प्रमाण भी है।

बारिश के दिनों में देवधारा जलप्रपात को देखने निहारने इसकी खूबसूरती का लुफ्त उठाने देश-विदेश के लोग यहां पहुंचकर अपने जीवन के कुछ सुखद पल इन वादियों के साथ बिताते हैं।

हालांकि यह झरना 12 महीने बहता है पर सैलानियों के लिए सितंबर से जनवरी फरवरी का महीना उत्तम है।

देवधारा की बात है कहीं जाए तो लाजवाब है लगभग 100 fit करीब से पानी गिरता है।फव्वारे उड़ते हैं जो कि नीचे विशाल कुंड में जाकर मिलते हैं, जिसे देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ता है।

पुरानी मान्यता है कि इस पूर्ण में एक विशालकाय मछली है जो कि सोने के कुंडल आभूषण अलंकार धारण की हुई है।