गांवों में बसनें वाले लोग अधिकतर खेती बाड़ी के काम में शामिल होते हैं और तनावपूर्ण भागदौड़ भरे शहर के जीवन की गहमागहमी से मीलो दूर रहते हैं।

गाँव के पुरुष अधिकतर कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इनके पास या तो स्वयं के खेत हैं अथवा इनको मजदूरी पर लेने वाले जमींदारो के लिए कार्य करते हैं।

किसान ज्यादातर अपना भोजन खेत में ही पेड़ की ठंडी छाव में बैठकर करते हैं।  गांव में जीवन मध्यम मगर शांतिपूर्ण होता है।

गांव की संस्कृति बहुत ही निराली है और बहुत ही ज्यादा आत्मनिर्भर भी। वह किसी भी चीज के लिए बाहरी वस्तुओं पर ज्यादा आश्रित नहीं होते हैं।

गांवों के लोग अपने मेहमानों का बहुत गर्मजोशी से स्वागत करते है और उनका व्यवहार भी काफी दोस्ताना होता है।

यहां आकर आप प्रकृति की खूबसूरती बीच सारा तनाव भूल जाएंगे।

गांव भारतीय संस्कृति और विरासत का दर्पण है। वहां भारत की सदियों पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं।