Red Section Separator

स्वस्तिक समृद्धि और धन भाग्य को बढ़ाता है

हिंदू धर्म में, स्वस्तिक विघ्नहर्ता भगवान गणेश से जुड़ा है और इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

स्वस्तिक रोग और शोक को भी कम करता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है।

स्वस्तिक चिन्ह आपके घर के प्रवेश द्वार के पास या उस स्थान पर बनाया जा सकता है जहाँ आप पूजा करते हैं।

जैन और बौद्ध धर्म में भी स्वस्तिक को एक शक्तिशाली सौभाग्य प्रतीक माना जाता है।

हिंदू धर्म के भीतर विविध परंपराओं में, दक्षिणावर्त(Clockwise) और वामावर्त(Anticlockwise) दोनों स्वस्तिक अलग-अलग अर्थों के साथ पाए जाते हैं।

पहला "स्वस्तिक" के नाम से जाना जाता है, जिसका मुख दाहिनी ओर है, जो दक्षिणावर्त दिशा में सूर्य, समृद्धि और सौभाग्य को दर्शाता है।

दूसरा रूप "सौवास्तिक" है, जो बाईं ओर है, जो वामावर्त रात्रि या काली के तांत्रिक पहलुओं को दर्शाता है।

स्वास्तिक चिन्ह आम तौर पर दाहिने हाथ की अनामिका उंगली पर कुमकुम पेस्ट या अन्य पवित्र पाउडर से दीवार पर, कलश पर, फर्श पर जहां पूजा होती है, बनाया जाता है।

आप पांचों अंगुलियों का उपयोग करके भी स्वस्तिक बना सकते हैं। प्रत्येक उंगली एक गुण से जुड़ी होती है, जैसे मध्यमा उंगली धैर्य और बुद्धि से जुड़ी होती है।

अपने घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक बनाना शुभ माना जाता है और यह सौभाग्य और समृद्धि ला सकता है।