महेंद्र कर्मा का जन्म 5 अगस्त 1950 को दंतेवाड़ा के दाराबोडा कर्मा में हुआ था। इन्हें बस्तर टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। कर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित आदिवासी राजनीतिक नेता थे।
कर्मा ने बस्तर में पढ़ाई की और फिर जगदलपुर से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से शुरू किया।
महेंद्र कर्मा ने बस्तर से लोकसभा चुनाव और दंतेवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीता। वे छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास मंत्री भी रहे ।
वर्ष 2000 से 2004 में राज्य गठन के बाद से कर्मा अजीत जोगी कैबिनेट में उद्योग और वाणिज्य मंत्री थे।
वर्ष 2004 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधामसभा के नेता प्रतिपक्ष रहे।
2005 में महेंद्र कर्मा ने नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम की स्थापना की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम की मान्यता खत्म करने के निर्देश दे दिये।
सलवा जुडुम मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने 8 नवंबर 2012 को लैंडमाइन्स बिछा कर जानलेवा महेंद्ह कर्मा पर हमला किया था तब वो बच गये थे।
25 मई 2013 में झीरम घाटी हमला हुआ जिसमें नक्सलियों ने अकेले महेंद्र कर्मा को 65 गोलियां मारी थी और उनके शव पर डांस भी किया था।