कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। ऐसे में यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण की पूजा की जाती है।
एमपी के रावनग्राम गांव के लोग रावण को भगवान के रूप में पूजते हैं। इसलिए गांव में रावण का दहन करने के बजाए उसकी पूजा की जाती है। इस गांव में रावण की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित है।
आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर बना हुआ है। यहां आने वाले लोग भगवान राम की शक्तियों को मानने से इनकार नहीं करते, लेकिन वे रावण को ही शक्ति सम्राट मानते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है।
अमरावती के गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय द्वारा रावण का पूजन होता है। कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं।