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प्रयागराज महाकुंभ 2025 की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होगी तथा महाशिवरात्रि के दिन अंतिम शाही स्नान के साथ समापन होगा।
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महाकुंभ में कल्पवास करने वाले भक्त हर दिन तीन बार स्नान करते हैं। कहा जाता है कि संगम तट पर स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप खत्म हो जाते हैं।
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हिंदू धर्म में महाकुंभ में स्नान का खास महत्व है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
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हिंदू धर्म में प्रयागराज का संगम स्नान अत्यंत शुभ माना गया है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है।
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महाकुंभ में स्नान करने वाले व्यक्ति के जीवन में शुभता का आगमन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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शास्त्रों के मुताबिक, शाही स्नान साधु-संतों और नागा साधुओं के लिए विशेष महत्व होता है। यह कुंभ मेले की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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वहीं महाकुंभ के पहले दिन रवि योग का बेहद शुभ संयोग बन रहा है। धार्मिक मान्यता है कि रवि योग में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
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