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स्कूल टीचर से PCC चीफ तक जानिए कैसा रहा मोहन मरकाम का राजनीतिक सफर

मोहन मरकाम का सियासी सफर काफी लंबा रहा है, उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखा था।

मोहन मरकाम का जन्म कोंडागांव जिले के टेंडमुण्डा गांव में 15 सितंबर 1967 को एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता स्व भीखराय मरकाम एक किसान थे। वें अपने माता-पिता के पांचवीं संतान थे। मोहन के कुल 7 भाई व 2 बहनें हैं।

मोहन मरकाम छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने छात्र संघ के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारियों का निवर्हन किया। 

छात्र जीवन में मोहन मरकाम एनसीसी के सीनियर अंडर अफसर रहे। मोहन का चयन गणतंत्र दिवस के परेड के लिए नई दिल्ली में भी हुआ था।

मरकाम ने शासकीय सेवा के रूप में शिक्षाकर्मी वर्ग 1 व शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के रूप में भी कार्य किया।

मोहन मरकाम ने 1990 में महेंद्र कर्मा की मौजूदगी में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्ता ली थी। उन्होंने 1993, 1998, 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट की दावेदारी भी की, लेकिन टिकट नही मिला।

2008 में मोहन मरकाम को पहली बार कांग्रेस ने कोंडागांव सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हे 2771 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

2013 में कांग्रेस पार्टी ने फिर से मोहन को टिकट दिया और इस बार उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन मंत्री लता उसेंडी को मात दे दी।

लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होने कांग्रेस प्रत्याशी के लिए जी तोड़ मेहनत की और प्रचंड मोदी लहर के बाद भी कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को 12890 वोटों को बढ़त दिलाई।

लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होने कांग्रेस प्रत्याशी के लिए जी तोड़ मेहनत की और प्रचंड मोदी लहर के बाद भी कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को 12890 वोटों को बढ़त दिलाई।

29 जून 2019 को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष के रूप में आदिवासी नेता मोहन मरकाम ने चार्ज लिया था।

मोहन मरकाम को हटा कर दीपक बैज को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई है। वहीं, अब मोहन मरकाम को मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।