"इको फ्रेंडली पेंसिल" नाम सुनकर आप को अजीब लग रहा होगा है ,पर ये हकीकत है कि महासमुंद जिले के वेद माता गौशाला में इको फ्रेंडली पेंसिल का निर्माण किया जा रहा है ।
पेंसिल के इस्तेमाल के बाद जब पेंसिल छोटा हो जाता है ,तो बच्चे अक्सर इसे फेंक देते हैं ।
बच्चे जहां इस पेंसिल को फेंकेंगे वहां फलदार , छायादार , औषधि , सब्जी के पौधे उग जायेगे, क्योकि इको फ्रेंडली पेंसिल के आखिरी सिरे में उपचारित बीज होंगे, जो मिट्टी में जाकर एक पौधे का रुप ले लेंगे ।
महासमुंद मुख्यालय से महज पांच किमी की दूरी पर ग्राम भलेसर में वेद माता गायत्री गौशाला स्थित है, जो वर्ष 1998 से संचालित है ।
इस गौ शाला के सचिव, एकाउंटेंट व दो महिलाओं ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कुछ करने की सोची और इन्होंने इको फ्रेंडली पेंसिल बनाने का फैसला लिया ।
स्ंस्था के लोग अब तक 250 से 300 इको फ्रेंडली पेंसिल बना चुके हैं। इको फ्रेंडली पेंसिल बनाने वाली एकाउंटेंट का मानना है कि बच्चे पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं और पेंसिल के छोटे हो जाने पर अक्सर फेंक देते हैं।
इको फ्रेंडली पेंसिल के आखिरी सिरे में प्लास्टिक के कैप्सूल में बीज डाला गया है, ताकि पेंसिल को जब बच्चे छोटे होने पर फेंकेंगे तो मिट्टी के संपर्क में आने से वहां पौधे उग जायेंगे।
गौशाला के सचिव का कहना है कि बच्चो के मन में पर्यावरण के प्रति जागरुकता लाने व पर्यावरण संरक्षण में बच्चो के योगदान को शामिल करने के उद्देश्य से इको फ्रेंडली पेंसिल का निर्माण किया जा रहा है ।