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हिन्दू धर्म में पिंड दान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। भारत में कुछ जगह ऐसी हैं जहां पर पिंड दान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।

पितृपक्ष की अष्टमी यानी इस दिन जितिया व्रत भी रखते हैं, इस दिन व्रत का समापन होता है। 16वें दिन विशेष पूजा अर्चना कर इस व्रत का समापन होता है। इस साल 25 सितंबर अष्टमी तिथि को विशेष पूजा अर्चना के साथ व्रत का समापन होगा

श्राद्ध और पिंडदान की पूजा के लिए फेमस हैं ये जगह

बिहार में गया पिंडदान के लिए एक फेमस जगह है। फल्गु के तट पर लगभग 48 चबूतरे हैं जहां ब्राह्मण पंडितों द्वारा पिंडदान कराया जाता है। माना जाता है कि यह अनुष्ठान दिवंगत की आत्मा को पीड़ा से मुक्त करता है।

बोध गया

वाराणसी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक गंगा के तट पर बसा है। यह भगवान शिव और पार्वती का उपरी भाग है। यहां गंगा घाट पर पिंडदान करने की प्रथा है।

वाराणसी

प्रयागराज में गंगा-यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर पूर्वजों का पिंडदान करना अच्छा माना जाता है। यहां पर आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है।

प्रयागराज

हरिद्वार भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है। यह गंगा के किनारे पर है। माना जाता है कि यहां गंगा में नहाने से सभी पाप धुल जाते हैं। कहते हैं कि यहां पिंड दान करने पर दिवंगत की आत्मा को स्थायी शांति मिलती है।

हरिद्वार

अलकनंदा के तट पर ब्रह्म कपाल घाट को पिंडदान के लिए शुभ माना जाता है। भक्त पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं और पिंड दान करवाते हैं। कहते हैं कि यहां आत्मा को मुक्ति मिलती है और शांति मिलती है।

बद्रीनाथ