पितृपक्ष में पितरों के आशीष प्राप्त करने के लिए लोग श्राद्ध और तर्पण करते हैं।
इसके अलावा लोग कौवे को भोजन भी कराते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौवे को भोजन क्यों कराया जाता है?
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं। यह यमराज के प्रतीक माने जाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मनुष्य योनि के बाद मृतात्मा सबसे पहले कौआ योनि में प्रवेश करती है। यही वजह है कि मृतक की पसंद का भोजन सबसे पहले कौवों को खिलाया जाता है।
तभी पितृ पक्ष के दौरान कौवे का होना पितरों के आस पास होने का संकेत माना जाता है लेकिन पितृ पक्ष के दौरान एक दूसरी वजह से भी कौए को भोजन कराना चाहिए।
माना जाता है कि कौवे यम का प्रतीक भी होता है। अगर आप पितृ पक्ष के दौरान कौवे को भोजन कराते हैं तो दोगुना लाभ मिलता है।
यह भी मान्यता है कि श्राद्ध और पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से प्रचलित है। कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा तय कर सकते हैं।
ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है। इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराया जाता है।