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सावन में कावड़ यात्रा की जाती है। कावड़िये देश के प्रसिद्ध घाटों से गंगाजल भरकर लाते हैं और फिर भगवान शिव का जलाभिषे करते हैं। जानें कावड़ में कहां से उठाया जाता है जल और किस दिन करते हैं जलाभिषेक

सावन में कहां-कहां जल उठाते हैं

सावन मास में कावड़िये देश के प्रसिद्ध घाटों से गंगाजल भरकर लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। हरिद्वार के हर की पौड़ी में ब्रह्मकुंड से गंगा जल भर भगवान शंकर का जलाभिषेक करना अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कावड़ यात्रा का महत्व

हिंदू धर्म में प्राचीन काल से कावड़ यात्रा चली आ रही है। सावन महीने में कावड़ यात्रा की जाती है। इस समय शिव भक्त पवित्र नदियों से गंगाजल भर लाते हैं और भगवान शिव को अर्पित करते हैं।

किसने की थी कावड़ यात्रा की शुरुआत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहली बार भगवान परशुराम गढ़मुक्तेशर के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। उसके बाद से ही कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष ग्रहण किया था, जिससे उनके शरीर में जलन हो गई थी, इसलिए भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

इस दिन जलाभिषेक करना माना जाता है बहुत शुभ

सावन में शिवरात्रि का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस साल सावन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024 को है। मान्यता है इस भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।

डिस्क्लेमर

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।