देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया।
चूंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना से जुड़े नवरात्रि का पावन पर्व मनाए जाने से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं।
इनमें एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, असुर महिषासुर को ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान प्राप्त था। उसकी मृत्यु मानव, असुर या देवता किसी के हाथों नहीं हो सकती थी।
उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथ से ही निश्चित की गई थी। यह वरदान पाकर महिषासुर मानवों और देवताओं को सताने लगा।
महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं ने आदिशक्ति का आवाहन किया। तब महिषासुर के अंत के लिए त्रिदेवों के तेज पुंज से मां दुर्गा की उत्पति हुई।
महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच पूरे 9 दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया, इसलिए पूरे नौ दिनों तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
युद्ध के दौरान सभी देवताओं ने भी नौ दिनों तक प्रतिदिन पूजा-पाठ कर देवी को महिषासुर के वध के लिए बल प्रदान किया। मान्यता है कि तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरुआत हुई है।