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जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य 

1. ध्वज की दिशा - लोगों का मानना है कि जिस दिशा में हवा चलती है, उसके विपरीत दिशा में जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर स्थित ध्वज फहराता है।

2. लकड़ी की मूर्तियाँ - मूर्तियाँ लकड़ी से बनी होती हैं और नवकलेबारा के दौरान उनकी जगह नई मूर्तियाँ ले ली जाती हैं। यह अनुष्ठान हर 8, 12 या 19 साल के बाद एक बार किया जाता है।

3. कोई छाया नहीं - दिन का कोई भी समय हो, आसमान में सूरज कहीं से भी चमक रहा हो,लेकिन मंदिर की कोई छाया नहीं पड़ती।

4. अबधा महाप्रसादम - महाप्रसाद भगवान जगन्नाथ को 5 चरणों में परोसा जाता है और इसमें 56 स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं। यह दो प्रकार का होता है, सुखिला और शंखुड़ी।

5. महाप्रसादम की तैयारी - 7 मिट्टी के बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है और भोजन को लकड़ी के ऊपर पकाया जाता है और सबसे ऊपर वाले बर्तन में भोजन पहले पकता है उसके बाद बाकी। आज तक यह पहेली नही सुलझ पाई है।

6. लहरों की आवाज - मंदिर के बाहर समुद्र का इतना शोर पर अंदर कदम रखते ही आपको समुद्र की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है।

7. मंदिर के ऊपर कुछ भी नहीं उड़ता - मंदिर के गुंबद के ऊपर एक भी पक्षी नहीं देखा जा सकता है। ऊपर कुछ भी नहीं मंडराता, कोई हवाई जहाज़ नहीं, यहाँ तक कि कोई पक्षी भी नहीं।

8. चक्र की दिशा - मंदिर के शीर्ष पर चक्र है जिसका वजन लगभग एक टन है। पुरी में कहीं से भी चक्र देखो इसका मुख अपनी ओर ही दिखता है।

9. प्रसादम का रहस्य - इस मंदिर में हर साल लाखों-करोड़ों तीर्थयात्री आते हैं। रथयात्रा के दिनों में सामान्य दिनों की तुलना में अधिक तीर्थयात्री आते हैं। लेकिन हर दिन उतनी ही मात्रा में खाना पकाया जाता है। किसी भी दिन भोजन बर्बाद नहीं होता और कोई भी भक्त बिना खाए नहीं रहता।