बाबा नीम करोली एक चमत्कारिक बाबा थे, उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं, वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे।

उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था।

जब बाबा जीवित थे तब लोग उन्हे लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा और तलईया बाबा के नाम से जानते थे।

उत्तराखंड में मौजूद कैंची धाम मंदिर की लोकप्रियता इतनी है कि यहां बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं।

बाबा के भक्तों में आम आदमी से लेकर कई वीआईपी शामिल हैं, बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है।

स्टीव जॉब्स से प्रेरित होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करौली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे।

नीम करौली बाबा के चमत्कार के किस्से सुनने और अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए हर दिन लाखो श्रद्धालू नीम करौली बाबा के आश्रम कैची धाम पहुंचते हैं।

बाबा ने 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में अपने शरीर का त्याग कर दिया।