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इनके योगदान ने देश के शैक्षिक परिदृश्य को आकार दिया

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक प्रमुख भारतीय विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।

उनका असली नाम 'अबुल कलाम गुलाम मुहिउद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आज़ाद'था। लेकिन वे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के नाम से प्रसिद्ध हुए।

11 नवंबर, 1888 को सऊदी अरब के मक्का में जन्मे आज़ाद को विविध संस्कृतियों और भाषाओं से परिचित कराया गया।

इनका जन्मदिन, 11 नवंबर, भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वे स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए।

इन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत की और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध किया।

आज़ादी के बाद, आज़ाद ने 1947 से 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों और वयस्क शिक्षा को बढ़ावा देते हुए एक मज़बूत शैक्षिक ढांचे की नींव रखी।

आज़ाद सिर्फ़ एक राजनेता ही नहीं थे, बल्कि एक लेखक भी थे। "ग़ुबार-ए-ख़ातिर" और "इंडिया विन्स फ़्रीडम" उनकी रचनाएँ हैं।

1992 में भारत सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न देकर सम्मानित किया।

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