जब भगवान राम और लक्ष्मण लौटे तो उन्हें पूरी बात बताई और कहा कि उस समय पंडित, कौवा, फल्गु नदी और गाय उपस्थित थे। माता सीता ने साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई पूछने की बात कही।
प्रभु श्रीराम ने इसकी पुष्टि के लिए जब चारों से पूछा तो उन्होंने झूठ बोलते हुए इनकार कर दिया। इससे माता सीता क्रोधित हो गईं और झूठ बोलने की सजा देते हुए पंडित को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता कभी दूर नहीं होगी।
कौवे को श्राप दिया कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा, फल्गु नदी को श्राप मिला कि बारिश होने के बाद भी ऊपर से हमेशा सूखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव नहीं होगा।
माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा जूठा खाना पड़ेगा।