महात्मा गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था।
उनके बारे में अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जो लोगों को नहीं मालूम हैं। तो आइये जानते हैं बापू के बारे में अनजाने तथ्य।
महात्मा गांधी के पास हमेशा एक गीता रहती थी जबकि वे महावीर स्वामी के पंचमहाव्रत और महात्मा बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का पालन करते थे।
महात्मा गांधी अपने जीवन में प्रत्येक दिन 18 किलोमीटर चलते थे जो कि उनके जीवन काल में धरती के 2 चक्कर लगाने के बराबर था।
वे अपनी सेहत के प्रति सजग थे और 110 वर्ष जीना चाहते थे। वह अपने पेट की गर्मी छांटने के लिए उस पर गिली मिट्टी की पट्टियां बांधते थे।
महात्मा गांधी स्कूल में अंग्रेजी में अच्छे विद्यार्थी थे, जबकि गणित में औसत व भूगोल में कमजोर छात्र थे।
गांधीजी अपने जीवनकाल में कभी भी प्लेन में नहीं बैठे। उन्होंने ट्रेन से सफर ही किया। वे कभी अमेरिका भी नहीं गए।
साल 1930 में उन्हें अमेरिका की टाइम मैगजीन ने Man Of the Year से उपाधि से नवाजा था।
रेलयात्रा के दौरान एक बार महात्मा गांधी का एक जूता नीचे गिर गया। उन्होंने अपना दूसरा जूता भी फेंक दिया।
जब बगल के यात्री ने कारण पूछा तो वे बोले एक जूता मेरे किसी काम नहीं आएगा। कम से कम मिलने वाले को तो दोनों जूते पहनने का मौका मिलेगा।
गांधीजी को फोटो खिंचवाने का बिलकुल भी शौक नहीं था लेकिन आजादी के दौरान सबसे ज्यादा उनके ही फोटो खिंचे गए थे।
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
गांधी जी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता शुक्रवार को ही मिली थी तथा गांधी जी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
गांधी जी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
गांधीजी की शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े हुए थे।
जब महात्मा गांधीजी अफ्रीका से भारत वापस आ गए तो उन्होंने कोचरब बंगला में 25 मई 1915 सत्याग्रह आश्रम का निर्माण करवाया।
बाद में उन्होंने 17 जून 1917 को साबरमती नदी के किनारे 36 एकड़ के लगभग बड़ी जगह पर सत्याग्रह आश्रम फिर से स्थापित करवाया।
कहते हैं कि उन्हें 5 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी हत्या हो गई।
महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था।
4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।
महात्मा गांधी ने 1934 में भागलपुर में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने अपने ऑटोग्राफ के लिए पांच-पांच रुपये की राशि ली थी।
महात्मा गांधी जब वकालत करने लगे तो वह अपना पहला केस हार गए थे।
भारत में कुल 53 बड़ी सड़कें महात्मा गांधी के नाम पर हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं।
महात्मा गांधी को अंग्रेजी सिखाने वाला आयरलैंड का वासी था।
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