Mahakumbh Snan 2025: क्या है मुनि, देव, मानव और राक्षस स्नान का अर्थ, जानिए इसका महत्व 

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महाकुंभ का पर्व हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह आस्था और पवित्रता का ऐसा संगम है जहां करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। 

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महाकुंभ के दौरान स्नान के चार प्रकार होते हैं मुनि, देव, मानव और राक्षस स्नान। ये चारों स्नान श्रद्धालुओं और उनकी आस्था के स्तर का प्रतीक होता हैं।

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मुनि स्नान: मुनि स्नान उन साधुओं और तपस्वियों के लिए है, जो अपना अधिकांश समय तप और ध्यान में व्यतीत करते हैं। यह स्नान दिव्यता और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक होता है।

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मुनि स्नान के दौरान साधु-संत संगम में अपनी साधना को प्रबल बनाने, ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जुड़ने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।

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देव स्नान: देव स्नान उनके लिए है जो देवतुल्य आचरण और समाज के कल्याण के लिए जीवन समर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस स्नान के माध्यम से व्यक्ति देवताओं की कृपा प्राप्त करता है।

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मानव स्नान: मानव स्नान आम श्रद्धालुओं के लिए होता है, जो पुण्य प्राप्त करने और पापों से मुक्ति पाने के लिए संगम में डुबकी लगाते हैं। मानव स्नान मोक्ष की ओर पहला कदम माना जाता है।

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राक्षस स्नान: राक्षस स्नान उन लोगों के लिए है, जो अपना जीवन अधर्म और अन्याय में व्यतीत किया है। यह स्नान उनके पापों का प्रायश्चित करने का अवसर है। इस स्नान से व्यक्ति अपनी बुरी आदतों और आत्मा के शुद्धिकरण का मार्ग है।

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