Mahakumbh 2025: क्या है प्रयागराज संगम के किनारे स्थित अक्षय वट का महत्व? जो जल प्रलय के बाद भी है अडिग...
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इस वक्त प्रयागराज में महाकुंभ लगा हुआ है, जहां लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंच रहे हैं।
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प्रयागराज में महाकुंभ के साथ ही संगम के किनारे स्थित अक्षय वट भी बड़ा महत्व है। यह वट वृक्ष बहुत ही पुराना है।
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इस अक्षय वट को अजर-अमर माना गया है। कहा जाता है कि इसका अस्तित्व सृष्टि के प्रारंभ से ही है।
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हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, अक्षय वट की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और कई धार्मिक ग्रंथों में अक्षय वट का उल्लेख मिलता है।
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अक्षय वट को मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। कहते है कि इस पेड़ के दर्शन मात्र से सभी पापों का नाश हो जाता है और जीवन-मरण के बंधनों से मुक्ति मिलती है।
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पौराणिक मान्यता के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में जब जल प्रलय हुआ था, तब एकमात्र अक्षय वट वृक्ष ही उस प्रलय से अडिग रहा।
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माना जाता है कि अक्षय वट के एक पत्ते पर भगवान बालरूप में विद्यमान होकर सृष्टि के अनादि रहस्य का अवलोकन करते हैं। इसे भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक माना गया है।
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कहा जाता है कि जब भगवान राम अपने वनवास के दौरान प्रयागराज आए, तो उन्होंने अक्षय वट के नीचे विश्राम किया। इसलिए रामभक्त इस वट वृक्ष को बहुत पवित्र मानते हैं।
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