नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी के रूप में मनाया जाता है, जो नवरात्रि के शुभ त्योहार के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है।
दुर्गा माता का नौवां रूप माँ सिद्धिदात्री है, जिनकी पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन होती है।
माना जाता है कि बैंगनी रंग पहनकर नवदुर्गा की पूजा करने से भक्तों को ऐश्वर्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड की शुरुआत हुई, तब रुद्र ने शक्ति की सर्वोच्च देवी आदि-पराशक्ति की पूजा की थी।
चूँकि उनका कोई रूप नहीं था, इसलिए आदि-पराशक्ति भगवान शिव के बाएं आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं।
जब ऐसा हुआ, तो शिव को अर्ध-नारीश्वर के रूप में जाना जाने लगा।
ऐसा माना जाता है कि वह ऐसी देवी हैं जो अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
वह अपने भक्तों से अज्ञानता दूर कर उन्हें ज्ञान प्रदान करती हैं, ऐसा माना जाता है कि शिव को भी सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियाँ प्राप्त हुई थीं।
माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और सिंह की सवारी करती हैं। उनकी चार भुजाएँ हैं ,उनके दाहिने हाथ में गदा और सुदर्शन चक्र है और बाएँ हाथ में कमल और शंख है।