माँ चंद्रघंटा साहस और पराक्रम का प्रतीक हैं

माँ चंद्रघंटा माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। उन्हें रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन मां को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।

मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं।

इनके  पूजन-अर्चन से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को तेज और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है।

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है।

माँ के 10 हाथ हैं और माँ के हाथों में कमल, खड्ग, कमंडल, तलवार, गदा, त्रिशूल, बाण और धनुष जैसे शस्त्र हैं,माँ के कंठ में सफेद फूलों की माला रहती है और माँ के सिर पर रत्नों से जड़ा हुआ मुकुट विराजमान है