धातु रोग को आयुर्वेद में इसे "धातु विकार" कहा जाता है। यह रोग शरीर के सात धातुओं (धातु, मांस, रक्त, मेदा, अस्थि, मज्जा और शुक्र) में से किसी एक या अधिक के असंतुलन के कारण होता है। इसके कुछ घरेलू नुस्खें जानें
गिलोय : धात रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए 2 चम्मच गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिलकर लेना चाहिए।
आंवले : प्रतिदिन सुबह खाली पेट दो चम्मच आंवले के रस को शहद के साथ लें। इससे जल्द ही धात पुष्ट होने लगती है। सुबह शाम आंवले के चूर्ण को दूध में मिला कर लेने से भी धात रोग में बहुत लाभ मिलता है।
तुलसी : 3 से 4 ग्राम तुलसी के बीज और थोड़ी सी मिश्री दोनों को मिलाकर दोपहर का खाना खाने के बाद खाने से जल्दी ही लाभ होता है।
सफ़ेद मुसली : अगर 10 ग्राम सफ़ेद मुसली का चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाया जाए और उसके बाद लगभग 500 ग्राम गाय का दूध पी लें तो अत्यंत लाभकारी होता है। इस उपाय से शरीर को अंदरूनी शक्ति मिलती है और व्यक्ति के शरीर को रोगों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है।
उड़द की दाल : अगर उड़द की दाल को पीसकर उसे खांड में भुन लिया जाए तो भी जबरदस्त लाभ जल्दी ही मिलता है।
जामुन की गुठली : जामुन की गुठलियों को धुप में सुखाकर उसका पाउडर बना लें और उसे रोज दूध के साथ खाएं। कुछ हफ़्तों में करने पर ही आपका धात गिरना बंद हो जायेगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन नुस्खों का सेवन करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।