प्रेगनेंसी के दौरान इमली का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं .गर्भावस्था में होने वाली उल्टी और जी मिचलाने की परेशानी को दूर करने में इमली लाभदायक हो सकती है
इसे कोल्ड, पेट दर्द, इंफेक्शन, जोड़ो की सूजन जैसी समस्या को भी दूर करने के लिए जाना जाता हैइसमें मौजूद विटामिन सी शरीर में आयरन को अवशोषित करने में मदद करता हैइससे आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया से बचने में भी मदद मिल सकती है
प्रेगनेंसी में इमली का वन करने से डायबीटिज की परेशानी कम हो सकती हसेै। दरअसल, इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल्स में एंटीऑक्सीडेंट क्षमता होती है। इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली समस्या कम हो सकती, जिसमें डायबिटीज भी शामिल है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले उच्च रक्तचाप यानी जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से बचाव में भी इमली मददगार साबित हो सकती है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च में भी कहा गया है कि हाई बीपी की समस्या को इमली कम कर सकती है
प्रेगनेंसी में फोलेट भी जरूरी है,जो इमली में भरपूर मात्रा में होता है,गर्भस्थ शिशु को तंत्रिका तंत्र से संबंधित दोष यानी न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का जोखिम कम होता है । साथ ही यह पोषक तत्व गर्भवती को मिसकैरेज के खतरे, जन्म से पहले प्रसव और लो बर्थ वेट की परेशानी से बचा है।
विटामिन सी की पूर्ति व इसकी संतुलित मात्रा को बनाए रखने में भी इमली सहायक हो सकता है। इमली में मौजूद विटामिन सी गर्भावस्था के लिए अच्छा होता हैगर्भावस्था में विटामिन सी का सेवन करने करने से प्री-एक्लेमप्सिया (उच्च रक्तचाप) से बचाव हो सकता है
महिलाओं में गर्भावस्था के समय खून की कमी यानी एनीमिया होने का जोखिम बना रहता है रिसर्च बताती हैं कि 32 से 62 प्रतिशत प्रगनेंसी एनीमिया से प्रभावित होती हैं, इसमें मौजूद विटामिन सी शरीर में आयरन को अवशोषित करता है। इससे आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया से बच सकते है।