इसमें से सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा भी कहा जाता है एवं जो पीले रंग का होता है उसे सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है।
इस फूल की पत्तियों की पत्तियों की संख्या पांच होती है। यह सुगन्धित होने के अलावा काफी मुलायम भी होता है एवं दिखने में मनोरम।
केतकी के फूल चपटे एवं नुकीले होते हैं। केतकी के पौधे पर छोटे-छोटे कांटे भी होते हैं।
केतकी का फूल प्रायः सावन के आगमन के साथ यानी वर्षा के मौसम में आपको देखने को मिलता है। यह फूल केतकी के पौधे पर लगता है।
यह लगभग खजूर के पेड़ जैसा ही दिखाई पड़ता है। इसकी लम्बाई 4 मीटर यानि 12 फ़ीट तक हो सकती है। केतकी का पेड़ एक शाखित, ताड़ जैसा होता है जिसमें लचीला ट्रंक होता है जो कि जड़ों द्वारा समर्थित होता है।
इसकी पत्तियां चमकदार होती हैं व 40 से 70 सेंटीमीटर तक लम्बी होती हैं एवं इनका रंग नीला-हरा होता है यह शाखा के सिरों पर तलवार के आकार में गुच्छों में उगती हैं।
कहा जाता है कि केतकी को भारत से यमन में लाया गया जहां इसका मुख्य उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है।
देवताओं को उनकी प्रिय सामग्री ही अर्पित की जाती है। लेकिन देवों के देव महादेव यानि भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं लेकिन उन्हें केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाया जाता है।
शंकर भगवान को सफेद रंग के पुष्प बहुत पसंद हैं, लेकिन यह सफेद पुष्प महादेव को अर्पित नहीं किया जा सकता है।