हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सेहत के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार यह व्रत 20 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन रखा जाएगा। चांद देखकर ही व्रत का परायण किया जाता है।
इस व्रत के दौरान बहू अपनी सास को करवा, मीठे पकवान, कपड़े आदि देती हैं जबकि सास अपनी बहू को सरगी देती हैं। जानते हैं कि ये क्या होते हैं।
जब बहू व्रत शुरू करती है, तो सास उसे करवा देती है, उसी तरह बहू भी सास को करवा देती है। पूजा करते समय और कथा सुनते समय दो करवे रखने होते हैं।
एक वो जिसे उनकी सास ने दिया होता है और दूसरा वो जिसमें पानी भरकर बायना देते समय उनकी सास को देती हैं। सास उस पानी को किसी पौधे में डाल देती हैं और अपने पानी वाले लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं।
करवा चौथ पर महिलाएं व्रत खोलने के बाद अपनी सास को करवा, मीठे पकवान, कपड़े और सुहाग और श्रृंगार से जुड़ी वस्तुएं देती हैं जिसे बायना भी कहा जाता है।
इस दिन सास अपनी बहुओं को सूर्योदय से पहले सरगी की थाल देती हैं। इस थाल में मिठाई, मठरी, मेवे, फल, कपड़े, गहने, पूरी और सेवई आदि चीजें होती हैं। इससे खाकर ही बहुए निर्जला व्रत प्रारंभ करती हैं और बाद में इससे ही चांद देखने के बाद व्रत खोलती हैं।
सास द्वारा दी हुई सरगी से बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। अगर सास साथ में नहीं हैं, तो वो बहू को पैसे भिजवा सकती हैं, ताकि वो अपने लिए सारा सामान खरीद सके।
इस सरगी में कपड़े, सुहाग की चीजे, फेनिया, फ्रूट, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखे होते हैं।