कांगेर धारा जलप्रपात तक पहुँचने के लिए उद्यान के द्वार पर स्थित 'ज़िला वन कार्यालय' की अनुमति और टिकट लेना होता है।
कांगेर घाटी की गोद में होने के नाते इस जलप्रपात की धारा वास्तव में लहराती हुई चट्टानों के बीच कांगेर नदी से निकलती है।
भूवैज्ञानिक मानते हैं कि यह इलाका तलछटी भूभाग था, जिसमें आगे चलकर जलती हुई चट्टाने आ गईं, जिसकी वजह से इलाका टेढ़ी-मेढ़ी आकृति का हो गया।
कांगेर घाटी से होकर गुजरने वाली कांगेर नदी पर स्थित इस जलप्रपात का पानी स्वच्छ रहता है।