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हनुमान जी की प्रतिमा की कितनी बार परिक्रमा करना चाहिए?

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के पुर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 12 अप्रैल 2025 को है।

हनुमान जन्मोत्सव के खास अवसर, भक्त सुबह स्नान करने के बाद हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही हनुमान जी का आशिर्वाद पाने के लिए मंदिर भी जाते हैं।

मंदिर में हनुमान जी की पूजा करने के बाद वहां विराजमान मूर्ति की परिक्रमा करने का भी विधान है। मान्यता है कि मंदिर में परिक्रमा करने से देवताओं का शुभाशीष मिलता है।

धर्म विशेषज्ञों के मुताबिक, हनुमान जी की परिक्रमा करने से आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शास्त्रों में हनुमान जी को संकटमोचन कहा गया है। ऐसे में उनकी परिक्रमा से आपको संकटों से मुक्ति मिलती है।

हनुमान जी के मंदिर में जाने के बाद सबसे पहले उनकी विधि-विधान से पूजा करें। पूजा खत्म होने के बाद ही परिक्रमा शुरू करें।

हनुमान जी की मूर्ति की परिक्रमा आमतौर पर 3 बार करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि यह संख्या उनके बल, बुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।

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