प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यानी प्रत्येक माह में चंद्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष त्रयोदशी और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को रखा जाता है।
भगवान शंकर और मां पार्वती की कृपा हासिल करने के लिए प्रत्येक माह आने वाली त्रयोदशी तिथि को सबसे उत्तम माना जाता है।
गुरुवार को रखा जाने वाला प्रदोष गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के दौरान लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं।
इस बार गुरु प्रदोष व्रत की तिथि 28 नवंबर को सुबह 6:23 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 29 नवंबर 8:39 मिनट पर खत्म होगी।
वही उदयातिथि होने की वजह से 28 नवंबर को यह व्रत रखा जाएगा और पूजा का मुहूर्त शाम 5:24 मिनट से 8:6 मिनट तक है।
प्रात: स्नान करके साफ कपड़े पहनें फिर भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करें।
पूजा के दौरान धतूरा, बेलपत्र, फल और मिठाई चढ़ाएं, धूप और मिट्टी के दीपक जलाए, फिर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें, आखिरी में शिव आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।