आज से देशभर में भगवान श्री गणेश आराधना शुरू हो चुकी है। आने वाले 9 दिनों तक भक्त गणपति जी की की पूजा में लीन रहेंगे। तो आइये जानते हैं श्रीगणेश के अलग-अलग स्वरूपों के बारें में

पहला स्वरूप वक्रतुंड का है. इस स्वरूप में श्री गणेश जी ने मत्सरासुर का अहंकार भंग किया था.

दूसरा स्वरूप एकदंत का है. इस स्वरूप में उन्होंने मदासुर को पराजित किया था.

तीसरा स्वरूप महोदर का है, जिसमें श्री गणेश ने मोहासुर का गर्व भंग किया था. यह ज्ञान का स्वरूप भी है.

चौथा स्वरूप गजानन का है, इसमें प्रभु ने लोभासुर का अहंकार भंग किया था. यह स्वरूप सांख्य स्वरूप है.

पांचवें लम्बोदर स्वरूप में श्री गणेश ने क्रोधासुर को परास्त किया था. यह स्वरूप शक्ति का स्वरूप है.

छठवे श्री गणेश का नाम विकट है, इसमें उन्होंने कामासुर को परास्त किया था यह सौर का स्वरूप है.

सातवां स्वरूप विघ्नराज का है. इस स्वरूप में उन्होंने ममतासुर का अहंकार नष्ट किया था. यह श्री विष्णु का स्वरूप है.

आठवां स्वरूप धूम्रवर्ण का है, जिसमें उन्होंने अहंतासुर को परास्त किया था. यह शिव का स्वरूप है.