इस वर्ष का गणेश उत्सव शुरू हो गया है और गणेश विसर्जन 17 सितंबर हो होना है। परंतु आज हम आपको गणेश जी के विवाह के बारे में जानकारी देंगे।
बता दें गणेश जी का दो स्त्रियों के साथ विवाह हुआ था। वें हैं रिद्धि और सिद्धि।
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार भगवान गणेश जी तपस्या कर रहे थे, उसी समय तुलसीजी वहां से गुजरती हैं और उनको देखकर मोहित हो जाती हैं।
जिसके तुलसी गणेश से विवाह का प्रस्ताव रखती हैं जिसे गणेश जी ने नकार दिया। इसके बाद तुलसी ने उन्हें श्राप दे दिया कि उनके एक नहीं दो-दो विवाह होंगे।
इसके बाद गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि उसका विवाह असुर से होगा। इसी वजह से गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग नहीं किया जाता।
उनका विवाह नहीं हो पा रहा ऐसा लगने लगा था तो वह किसी का विवाह नहीं होने देंगे। उनके इस कार्य में मूषक वाहन भी साथ देता था।
उनकी इस कार्य से देवी-देवता बहुत परेशान थे। वे इस समस्या को लेकर ब्रम्हाजी के पास गए।
फिर ब्रम्हाजी के योग से दो कन्याओं रिद्धि और सिद्धि प्रकट हुईं। जो दोनों ब्रम्हाजी की मानस पुत्रियां थीं।
जिसके बाद गणेशजी से ब्रम्हा जी ने अपने दोनों मानस पुत्रियों से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। फिर दोनों का विवाह हुआ। इनके दो बच्चे शुभ और लाभ हुए।