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ईद उल अजहा मुबारक

 इस्लाम धर्म के हिसाब से ईज-अल-अजहा का चांद नजर आने के बाद जिस भी व्यक्ति को कुर्बानी देनी हो, उसे अपने शरीर के किसी भी हिस्से का बाल या नाखून कटवाना चाहिए।

भारत में चांद देखने के बाद कुर्बानी देने वाले को पूरे 10 दिनों तक इस नियम को मानना होता है।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार कुर्बानी देने से पहले व्यक्ति को स्नान कर, साफ- सुथरे कपड़े पहनकर नमाज अदा करना चाहिए।

ईज-अल-अजहा के पर्व  पर  बीमार या अपंग पशु , या जिस जानवर की सींग टूटी हो, उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है।

ईज-अल-अजहा के पर्व  पर  बीमार या अपंग पशु , या जिस जानवर की सींग टूटी हो, उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है।

बकरे की कुर्बानी देने से पहले उसे पेट भरकर खिलाया-पिलाया जाता है।

बकरे की कुर्बानी देने के बाद बकरे को तीन हिस्सों में बांटा जाता है।

पहला हिस्सा गरीबों को, दूसरा मेहमानों करीबियों को और तीसरा घर के लिए. इस दिन सभी लोग एक दूसरे को मुबारकबाद देते है।