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डीआरडीओ ने ऐसे देश को सशक्त बनाया

भारत की रक्षा अनुसंधान क्षमताएं राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, क्षेत्रीय संप्रभुता को बनाए रखने और आत्मनिर्भरता हासिल करने में रणनीतिक भूमिका निभाती हैं।

इस उद्देश्य के लिए कई संस्थान स्थापित किए गए जिनमें से एक महत्वपूर्ण संस्थान डीआरडीओ है।

डीआरडीओ की स्थापना 1958 में हुई थी।

डीआरडीओ का विज़न अत्याधुनिक स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों से राष्ट्र को सशक्त बनाना।

डीआरडीओ की शुरुआत देश में सिर्फ 10 प्रयोगशालाओं से हुई थी और अब देश भर में इसकी 50 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं।

1960 में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) पर एक परियोजना के रूप में, प्रोजेक्ट इंडिगो डीआरडीओ की पहली बड़ी रक्षा परियोजना थी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के प्रमुख कार्यों में से 1983 का एक एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम(IGMDP) था।

इस कार्यक्रम के तहत डीआरडीओ ने पृथ्वी,नाग,अग्नि जैसी कई मिसाइलें विकसित की हैं।

डीआरडीओ ने  रुस्तम-मानव रहित वायु वाहन घातक-मानव रहित लड़ाकू वायु वाहन भी विकसित किए हैं।