कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चलने से अशुभ फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति को लंबे समय तक जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है।
शनि गोचर
ज्योतिष में शनिदेव को कर्म और न्याय का देवता माना जाता है। शनिदेव जातक को कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल देते हैं। शनिदेव एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं।
शनि का प्रकोप
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति को जीवन में 3 बार शनि की साढ़ेसाती का कष्ट झेलना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती 3 चरणों में लगती है। पहले चरण काफी मुश्किल भरा होता है।
न करें ये गलतियां
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चलने पर जातकों को कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे शनि का प्रकोप बढ़ सकता है और जीवन में कष्टकारी फल मिल सकते हैं।
मांस-मदिरा का सेवन न करें
शनि के साढ़ेसाती के दौरान मंगलवार और शनिवार मांस-मदिरा के सेवन से सख्त परहेज करना चाहिए। इस दिन कपड़े और चमड़े से बनी वस्तुओं की भी खरीदारी नहीं करना चाहिए।
वाद-विवाद से बनाएं दूरी
शनि की साढ़ेसाती चलने पर व्यक्ति को वाद-विवाद से बचना चाहिए और कोर्ट-कचहरी के मामलों से दूरी बनाए रखना चाहिए। इससे मानसिक अशांति बढ़ सकती है।