Red Section Separator
जिंदगी से जुड़ें कुछ चुनिंदा शेर
कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में
मैंने शायद देर लगा दी ख़ुद से बाहर आने में
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल,
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ,
वरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
सारी दुनिया की नज़र में है मेरी अह्द—ए—वफ़ा
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा?
वो दिन गये कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछड़ें तो मर नहीं जाता
हर-चंद ए'तिबार में धोखे भी है मगर
ये तो नहीं किसी पे भरोसा किया न जाए
जिधर जाते हैं सब, जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
मेरे दिल पे हाथ रक्खो, मेरी बेबसी को समझो,
मैं इधर से बन रहा हूं, मैं इधर से ढह रहा हूं
See more