चित्रकोट जलप्रपात देश के सबसे चौड़ा जलप्रपात है और घोड़े की नाल के समान इसका आकार है, इसलिए इसे 'नियाग्रा फॉल' के नाम से भी जाना जाता है।
विंध्याचल पर्वत माला में स्थित चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देते हैं। इसके पास प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं हैं, जिन्हें पार्वती गुफाओं के नाम से जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि किसी समय यहां के सुंदर वातावरण में हिरणों के झुंड रहा करते थे। इसलिए इसका नाम 'चित्र' पर पड़ा है, हल्बी बोली में इस शब्द का अर्थ "हिरण" होता है।
इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
झरने के बिलकुल नीचे तट पर एक तालाब है, जहां पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है। जलधारा शिवजी की मूर्ति पर इस तरह गिरती है मानो उनका जलाभिषेक कर रही हो।
यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मानसून का होता है। क्योंकि इन दिनों इंद्रावती नदी अपने उफान पर होती है। अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।
रात में इस जगह पर रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया गया है। ताकि यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकें। झरने के पास आपको नाविक मिल जाएंगें जो आपको झरने के बीचोबीच लेकर जाएंगे।