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Chhath Puja 2024

छठ पूजा भारत का एक प्रमुख पर्व है। यह त्योहार सूर्य भगवान और छठी मैया की आराधना के लिए जाना जाता है। इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की जाती हैं।

छठ पूजा की परंपरा को लेकर मान्यता है कि रामायणकाल में जब भगवान राम और माता सीता अयोध्या लौटे, तो उन्होंने सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की शुरूआत की थी।

छठ पूजा में छठी मैया का अधिक महत्व है। वह संतान सुख और परिवार की समृद्धि देने वाली देवी मानी जाती हैं। 

छठ पूजा में श्रद्धालु सूर्य को सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर सूर्य भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। यह परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत लाभकारी माना जाता है।

छठ पूजा का व्रत 4 दिनों तक चलता है। पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। इससे मन और शरीर की शुद्धि होती है।

दूसरे दिन को खरना कहा जाता हैं। इस दिन शाम को प्रसाद में गुड़ और चावल की खीर बनाते हैं और व्रती इसे खाकर व्रत शुरू करते हैं और व्रत के दौरान सिर्फ अर्घ्य के समय जल ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा के तीसरे और चौथे दिन व्रती नदी, तालाब या अन्य जल स्थलों पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह सूर्यास्त और सूर्योदय अर्घ्य अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का प्रतीक है।

छठ पूजा में पारंपरिक लोक गीतों का विशेष महत्व होता है। इन गीतों में छठी मैया और सूर्य देवता की महिमा का गुणगान होता है।नारियल तेल से दीपक जलाने से घर में शांति और समृद्धि आती है।

छठ पूजा में प्रसाद के तौर पर ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों का प्रसाद तैयार किया जाता है। इस प्रसाद को घर-घर में बांटे जाते हैं और इसका सेवन बहुत शुभ माना जाता है।