तानिया ने कई इंटरनेशनल चेस टाइटल जीते हैं और वो आठ साल की उम्र से ही चेस की दुनिया में नाम कमा रही हैं।
तानिया उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो आज चेस में अपना करियर बनाना चाहती हैं और अपने सपने पूरा करना चाहती हैं।
आज चेस क्वीन से नाम से पहचानी जाने वाली तानिया की कामयाबी का श्रेय उनकी मां को जाता है, जिन्होंने सिर्फ 6 साल की उम्र से उन्हें चेस में एक्सपोजर दिलाया।
इसी का नतीजा है कि तानिया ने दो साल बाद ही 8 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल टाइटल जीत लिया।
उन्होंने बचपन से ही बड़े-बड़े टूर्नामेंट जीतने शुरू कर दिए थे. 1998 में 12 साल की उम्र में तानिया इंडियन चैंपियन बन गईं थी और फिर साल 2000 में वो एशियन अंडर-14 चैंपियन बनी थीं।
तानिया साल 2000 में ही वर्ल्ड अंडर-12 चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज भी जीत चुकी हैं। 2009 में अपने शानदार खेल के लिए तानिया सचदेव को अर्जुना अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
महान चेस प्लेयर विश्वनाथन आनंद की फैन तानिया आठवीं भारतीय हैं, जिन्हें वुमेन ग्रांडमास्टर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
2006 और 2007 में इंडियन चेस चैंपियनशिप फॉर वुमेन भी वो जीत चुकी हैं। कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतने से लेकर वुमेंस चेस ओलंपियाड 2012 में ब्रॉन्ज जीतने तक तानिया के अवॉर्ड्स की लिस्ट काफी लंबी है।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के वसंत विहार स्थित मॉडर्न स्कूल से पूरी की और फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से की।