इसका नाम इसके खोजकर्ता ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी लॉर्ड रेले के नाम पर रखा गया है।
ये अणु छोटी तरंग (जैसे नीला और बैंगनी) को लंबी तरंग (जैसे लाल और नारंगी) की तुलना में अधिक कुशलता से बिखेरते हैं।
परिणामस्वरूप, नीला प्रकाश पूरे वायुमंडल में वितरित हो जाता है, जो सभी दिशाओं से हमारी आँखों तक पहुँचता है।