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 भोपाल गैस त्रोसदी

भारत के मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन्1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था।

2-3 दिसम्बर की रात्रि को टैन्क तापमान 200 डिग्री के पार पहुंच गया जिससे 45-60 में 30 मेट्रिक टन गैस का रिसाव हो गया और वातावरण में फैल गया ।

मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी परंतु दो हफ्ते में 8000 से ज्यादा लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे।

भोपाल मेमोरिअल अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर ने 8 वर्षों के लिये ज़िन्दा पीड़ितों को मुफ्त उपचार उपलब्ध कराया जो सुविधा आज भी उनके लिए उपलब्ध है।

भोपाल की लगभग 5 लाख 20 हज़ार लोगो की जनता इस विषैली गैस से सीधे रूप से प्रभावित हुई जिसमे 2,00,000 लोग 15 की आयु से कम थे और 3,000 गर्भवती महिलाएं थी

इस त्रासदी से 3900 तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।

लोगों को शुरुआती दौर में तो खासी, उल्टी, आंखों में उलझन और घुटन का अनुभव हुआ। परंतु बाद में यह पता लगा की यह सब गैस त्रासदी सें संबंधित हैं ।