सिखों के धार्मिक स्थलों में यह स्थल विशेष स्थान रखता है,मणिकर्ण में बहुत से मंदिर और एक गुरुद्वारा है।
हिंदू मान्यताओं में यहां का नाम इस घाटी में शिव के साथ विहार के दौरान पार्वती के कान (कर्ण) की बाली (मणि) खो जाने के कारण पडा़।
इस स्थान की विशेषता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुल्लू घाटी के अधिकतर देवता समय-समय पर अपनी सवारी के साथ यहां आते रहते हैं।
नदी का पानी बर्फ के समान ठंडा है। नदी की दाहिनी ओर गर्म जल के उबलते स्रोत नदी से उलझते दिखते हैं।
देश-विदेश के लाखों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहाँ बार-बार आते है, विशेष रूप से ऐसे पर्यटक जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान हों यहां आकर स्वास्थ्य सुख पाते हैं।
गुरुद्वारे के विशालकाय किलेनुमा भवन में ठहरने के लिए पर्याप्त स्थान है छोटे-बड़े होटल व कई निजी अतिथि गृह भी हैं।
मणिकर्ण हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भुंतर के उत्तर-पूर्व में पार्वती नदी पर पार्वती घाटी में स्थित है।
जो पहाड़ों की स्थिर शक्ति और पार्वती नदी के पानी की प्रवाही शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखती है।