सुबह स्नान करके सभी देवी-देवताओं को नमस्कार करके व्रत का संकल्प लें।
श्री कृष्ण के साथ माता देवकी जी की मूर्ती भी स्थापित करें।
देवकी, वासुदेव, नन्द, यसोदा, लक्ष्मी जी का नाम लेकर विधिवत पूजन करें।
यह व्रत रात में 12 बजे के बाद ही खोलें।
इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता है।