अघोर पंथ हिन्दू धर्म का एक सम्प्रदाय है। इसका पालन करने वालों को अघोरी कहते हैं।
इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि इनकी उत्पत्ति आज से एक हजार साल पहले वाराणसी में हुई थी। हालांकि, अब इनकी संख्या काफी घट गई है।
अघोरी शमशान घाट में अपना जीवन बिताते हैं। ये वहीं तंत्र-मन्त्र करते हैं और इन्हीं घाटों पर उनकी जिंदगी बीतती है।
अघोरी इंसानों का मांस खाते हैं। भारत में इंसानी मांस खाना गैरकानूनी है। लेकिन ये अघोरी ऐसा करते हैं और उन्हें इसकी सजा भी नहीं मिलती।
अघोरी किसी तरह के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करते। ये या तो सीधे पानी के श्रोत में हाथ लगाकर पानी पीते हैं या फिर खोपड़ी में जमाकर।
भारत में सबसे ज्यादा अघोरी वाराणसी में पाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये अघोरी भविष्य देख सकते हैं।
अघोरियों की साधना काफी कठिन होती है। लेकिन ये साधना दो चीजों के बिना अधूरी मानी जाती है। ये है शराब और गांजा।
अघोरी का लाशों से गहरा रिश्ता होता है। ये इन्हें खाते भी हैं और इनके साथ कई तरह की पूजा भी करते हैं। तंत्र-मन्त्र में इन लाशों का इस्तेमाल किया जाता है।