स्वास्थ्य पर ऐसे ड्रिंक का बुरा असर भी पड़ता है। ऐसे में दुगली के जागृति महिला स्वसहायता समूह ने अपने पारंपरिक शीतल पेय से ठंडकता का अहसास कराने तीखुर का निर्माण कर रहे है।
लोकप्रिय शीतल पेय पदार्थों में से एक है। तीखुर नगरी सिहावा वासी सदियों से यहां के वनों में पाए जाने वाले प्राकृतिक वनोपज तिखुर के कंद का उपयोग करते आ रहे है।
धमतरी जिला 52 प्रतिशत जंगलों से भरा है। जंगलों में मिलने वाले वनोपज वनवासियों की जिंदगी की पटरी को आगे बढ़ाने में मददगार होते है।
जंगलों का अत्यधिक दोहन ना हो और वनवासियों को जंगलों से इकट्ठा किए हुए वनोपज का उचित दाम मुहैय्या कराने के अलावा उन्हें जीविकोपार्जन की सहुलियत देने दुगली में स्थापित किया गया।
लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र यहां वनवासियों से लघु वनोपज खरीदकर महिला स्व सहायता समूहों के जरिए उन वनोपजों का प्रसंस्करण किया जाता है।
वन परिक्षेत्र दुगली ने जागृति महिला स्व सहायता समूह को तिखुर निर्माण करने आधुनिक मशीन प्रदान किया है जिससे तीखुर निर्माण में गति प्रदान हुआ है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले रोजी मजदूरी का काम करने पर उन्हें एक हजार रूपए मिलता था, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद हर माह 3600 रूपए हर सदस्य कमा लेती है।