वित्तीय घोटालों ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। ये घोटाले आसानी से किसी भी देश की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकते हैं।
भारत में वित्तीय घोटाले, जिन्होंने देश की छवि और प्रतिष्ठा को सवालों के घेरे में ला दिया। आइये जानते हैं ऐसे ही 5 बड़े घोटालों के बारें में
सत्यम कम्प्यूटर भारत के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक रहा। यह 2009 को प्रकाश में आया, इसमें 7,000 करोड़ की अकाउंटिंग धोखाधड़ी का खुलासा हुआ।
केतन पारेख और 2001 का शेयर बाजार घोटाला भी काफी सुर्ख़ियों में रहा। केतन को इनसाइडर ट्रेडिंग, शेयर की कीमत में हेरफेर, निवेशकों को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
हर्षद मेहता और शेयर बाजार घोटाला भारत के इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक है। 23 अप्रैल 1992 को TOI में हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा किया गया था।
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में नीरव मोदी इस घोटाले के मुख्य आरोपी थे। बैंक ने 10,000 करोड़ रुपये के फर्जी एलओयू लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी किए।
शारदा घोटाला 2003 और 2011 में हुआ था। इसका असर उच्च वर्ग के साथसाथ मध्यम वर्ग के निवेशकों पर भी पड़ा। इसमें धन जुटाने के लिए बांड और डिबेंचर जारी किए।