सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मान्यता है कि मंदिर का निर्माण महाभारत काल में चंद्रभागा राज्य के राजा सोम देव द्वारा हुआ था. यहां सोम राजा ने शिवलिंग की पूजा की थी और इसे "सोमेश्वर" नाम से जाना जाता था.
उज्जैन ज्योतिर्लिंग उज्जैन स्थित बाबा महाकाल देश के एकमात्र ऐसे शिवलिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं। बाबा के दर्शन से मृत्यु दर्शन यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग यह नर्मदा नदी में एक ॐ आकार के द्वीप पर बसा हुआ है और एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है,ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों को एक ही ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग यह है कि हिमालय के केदार शृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।
बैजनाथ ज्योतिर्लिंग जहां शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजमान हैं इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक बाबा बैद्यनाथ धाम में ही माता सती का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे ही हृदयपीठ के रूप में भी जाना जाता है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है. शिव का ये धाम आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महादेव ने जिस स्थान पर भीमा का वध किया वह स्थान देवताओं के लिए पूज्यनीय बन गया। सभी ने भगवान शिव से उसी स्थान पर शिवलिंग रूप में प्रकट होने की प्रार्थना की। भीमाशंकर मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 230 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग माता पार्वती की बात मानकर भगवान शिव उन्हें काशी ले आए और तब से यहीं बस गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की यह नगरी उनके त्रिशूल की नोक पर बसी हुईमुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन और प्रमुख मंदिर केवल भगवान शिव को समर्पित किया गया है. यहां पर शिवजी की श्रद्धा पूर्वक पूजा नागेश्वर के रूप में की जाती है.जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातुओं से बने नाग-नागिन अर्पित करना चाहिए,
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग युद्ध कार्य में सफलता ओर विजय के पश्र्चात कृतज्ञता हेतु भगवान राम ने भगवान शिव की आराधना के लिए समुद्र किनारे की रेत से शिवलिंग का अपने हाथों से निर्माण कीया, तभी भगवान शिव सव्यम् ज्योति स्वरुप प्रकट हुए ओर उन्होंने इस लिंग को श्री रामेश्वरम की उपमा दी
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग घुश्मा ने शिव जी से प्रार्थना की कि लोक-कल्याण के लिए वो इसी स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें। शिवजी ने घुश्मा की दोनों बातें मान लीं और ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट होकर वहीं निवास करने लगे।