Chandi Ghoghra Devi Temple Siddhi: सीधी। घोघरा चंडी देवी माता का मंदिर सम्राट अकबर के नौ रत्नों में शामिल बीरबल की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर सोन नदी के तट पर स्थित है जो कि एक ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों में एकमात्र शुमार है। यह मंदिर पहाड़ों के बीच में ऊंचाई पर स्थित है जोकि अत्यधिक दुर्गम इलाका है। यह सम्राट अकबर के नवरात्रों में शुमार बीरबल की जन्म स्थली है इसी गांव में लालन पोषण हुआ था बीरबल एक चरवाहा था जो कि बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं था और पूरे गांव के लोगों का बैल लेकर जंगलों में चराया करता था। बाद में इन्हीं घोघरा चंडी देवी माता का आशीर्वाद बीरबल को प्राप्त हुआ जहां बीरबल अत्यंत चतुर व बुद्धिमान बना था। इन अलौकिक देवी के दर्शन के लिए बहुत दूर से लोग आया करते हैं और लोगों की ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में सबकी मनोकामना पूरी हो जाती है और यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बकरे की बली माता अपने आप स्वीकार कर लेती है।
सोन नदी के तट पर बसा घोघरा देवी चंडी माता का अलौकिक मंदिर है। जहां पर भक्तगण बहुत दूर से आते हैं। यहां इसी मंदिर पर बीरबल को देवी का वरदान मिला था। बीरबल चरवाहा था एक शाम जब वह बैल चराकर घर लौटा तो घोघरा देवी मंदिर में उनके बड़े भाई ने पूजा कर अपने घर में बताया कि कल देवी ने शुबह बुलाया है और वहां पर वरदान देने के लिए कहा है। यह बात घर में बीरबल सुन रहा था जिससे वह दुसरे दिन बीरबल भोर में अपने बड़े भाई से पहले ही माता के मंदिर में पहुंच कर उसने माता से कहा कि माता मैं आपके पास आया हूं और हमें आशीर्वाद दें कि मैं दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बन सकूं और जो कहूं वही सच हो और ठीक देवी ने वैसा ही वरदान दिया।
धीरे-धीरे वीरबल के वरदान मिलने के बाद उसके बुद्धिमत्ता की खबर जब रीवा महाराजा को लगी तब उन्होंने बीरबल को अपने राज्य में बुला लिया और जैसे-जैसे यह खबर बीरबल के बारे में दिल्ली दरबार के सम्राट अकबर को मिली तो उन्होंने रीवा महाराजा से कर वसूली के बदले बीरबल को मांग लिया जहां पर रीवा महाराजा को बीरबल को दिल्ली दरबार में सपना पढ़ा था उस समय के बाद से लगातार माता के भक्त जनों को समय समय पर वरदान मिलता रहा मनोकामना पूरी पर लोग अपनी अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद होने के बाद माता को किए गए वादे को पूरा करते हैं।
Chandi Ghoghra Devi Temple Siddhi: यहां घोघरा माता की लोगों द्वारा बकरा चढ़ाया जाता है जहां पर किसी व्यक्ति के द्वारा बकरे की बलि नहीं दी जाती बल्कि माता स्वयं बलि को स्वीकार कर लेती हैं और किसी प्रकार से कोई खून खराबा नहीं होता है इस तरह दुनिया का ये एकलौता मंदिर है। वहीं जब मंदिर के पुजारी व्यास तिवारी से बात की गई उन्होंने बताया कि यह बहुत पौराणिक वह आलोकिक मंदिर है जहां पर देवी ने बीरबल को वरदान दिया था और आज अनवरत काल से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो रही है और लोग बहुत दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष यहां पहुंचते हैं और मनोकामना करते समय चुनरी में नारियल बांधकर मंदिर में लगा कर चले जाते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद आकर देवी मां को प्रसाद चढ़ाते है।
वहीं मंदिर में जब श्रद्धालु राजेश पटेल से जब बात की गई तो उन्होंने बताया की यहाँ हम लोगों की मनोकामना पूरी हो गई है। हमारी बहन दो देवी ने पुत्र प्रदान किया है तो आज हम लोग बकरे चढाने आये है उन्होंने बताया कि हमारे नाना जी ने माता के दरवार में पुत्र की मन्नत मागी थी और फिर मामा जी के जन्म के बाद बकरे की बलि माता जी ने स्वीकार की थी।