MP Politics: भोपाल। चौथे चरण के रण में एमपी का वो इलाका है, जिसे पारंपरिक तौर पर बीजेपी का गढ़ माना जाता है। मालवा जहां की मौजूदा सभी 8 सीटें बीजेपी के पास है और इसे बरकरार रखने के लिए वो पूरा जोर भी लगा रही है। लेकिन कांग्रेस ने भी आरक्षण और जातीय समीकरण वाली सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर खुद को मैदान में बनाए रखा है। कुछ सीटों पर विधानसभा के आंकड़े भी कांग्रेस के हौसले बढ़ा रहे हैं तो मालवा की तैयारी कैसी है?
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चुनाव के तीन के चरण के बाद एक बार फिर अडानी-अंबानी का जिक्र सियासी अखाड़े में सुनाई दे रहा है। हर बार इन उद्योगपतियों का जिक्र कर कांग्रेस बीजेपी को घेरती आई है लेकिन इस बार पीएम मोदी ने इन नामों का जिक्र कर कांग्रेस को असहज कर दिया है… मोदी ने कहा कि अंबानी-अडानी जपने वाले खामोश क्यों है? क्या उन्होंने इन उद्योगपतियों से काला धन लिया है लेकिन सुबह से सैम पित्रोदा के बयान पर घिरी कांग्रेस इस पर कोई ठोस जवाब नही दे पाई है और बीजेपी इस पर हमलावर है।
यदि बीजेपी के इस जोरदार हमले को मध्यप्रदेश के चौथे चरण से जोड़कर देखे तो 13 मार्च को मालवा-निमाड़ की 8 सीटों पर चुनाव होना है, जिन पर बीजेपी न सिर्फ पहले से ही मजबूत है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने खरगोन में रैली करके उसे और धार दे दी है। जबकि पहले से ही इन सीटों पर कमजोर दिख रही कांग्रेस के लिए मुश्किलें बड़ गई है। इन आठ सीटों पर बीजेपी जीत में कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती, लिहाजा तेलगांना में दिए बयान को भुनाने में पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
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MP Politics: तेलगांना में छोड़ा गया मोदी का ये तीर बीजेपी के 400 पार के टारगेट तक यदि पहुंच जाता है तो, हर चरण के पहले एक नए मुद्दे का खड़ा करने की रणनीति कामयाब मानी जाएगी.. क्योंकि अब तक जो बयानबाजी आरक्षण को लेकर हो रही थी यदि वो अब अंबानी-अडानी पर शिफ्ट होती है तो तय मानिए की कांग्रेस को हर बार बीजेपी की पिच पर खेलना पड़ता है जिससे उसकी हार की संभावना बड़ जाती है।