जाति, मत, मजहब और गीता को लेकर योगी आदित्यनाथ बड़ा बयान, कहा- भगवान ने गीता की रचना सिर्फ….

जाति, मत, मजहब और गीता को लेकर योगी आदित्यनाथ बड़ा बयान, कहा- भगवान ने गीता की रचना सिर्फ....

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  • Publish Date - December 5, 2022 / 06:35 AM IST,
    Updated On - December 5, 2022 / 06:35 AM IST

गोरखपुर : Yogi Adityanath On Gita : उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रविवार को भगवद्गीता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह वह पावन ग्रन्थ है जिससे क्षेत्र, भाषा, जाति, मत, मजहब से परे सभी लोगों को निष्काम कर्म की प्रेरणा मिलती है। गीता प्रेस में रविवार शाम आयोजित गीता जयंती समारोह को बतौर मुख्‍य अतिथि संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘दुनिया में अनेक ग्रन्थ रचे गए लेकिन गीता युद्धक्षेत्र में भगवान के श्रीमुख से रचित वह ग्रन्थ है जो देश, काल, परिस्थितियों से ऊपर उठकर चराचर जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए अमर वाक्य बनकर प्रेरणा देने का सार्वभौमिक ग्रन्थ है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुरूप गीता के मंत्रों को अंगीकार करता है। पर, वास्तव में गीता से हमें यह प्रेरणा प्राप्त होती है कि सभी समस्याओं का समाधान निष्काम कर्म करने से ही संभव है।’’ योगी ने कहा, ‘‘यदि हम अपना काम स्वयं न करके या किए गए कार्य से अधिक की अपेक्षा करेंगे तो किसी न किसी दूसरे के हक पर डकैती होगी। भगवान ने गीता की रचना सिर्फ अर्जुन के द्वंद्व को समाप्त करने के लिए ही नहीं बल्कि समूची मानवता को कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देने के लिए की थी।’’

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मुख्यमंत्री ने गीता व अन्य धार्मिक साहित्य के प्रकाशन के लिए गीता प्रेस के संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयनका, कल्याण पत्रिका के प्रथम संपादक भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सेठजी ने 100 वर्ष पूर्व गीता प्रेस की स्थापना कर धार्मिक साहित्य के क्षेत्र में अद्भुत वह अनुकरणीय मानक स्थापित किए। गीता जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे पी पांडेय ने कहा कि गीता लाल कपड़े में लपेटकर घर के किसी कोने में रखने वाली किताब नहीं बल्कि जीवन का सही मार्ग दिखाने का जीवंत माध्यम है। कार्यक्रम का संचालन गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने किया।