उत्तर प्रदेश: जोधपुर झाल आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाएगा

उत्तर प्रदेश: जोधपुर झाल आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाएगा

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  • Publish Date - November 30, 2024 / 04:07 PM IST,
    Updated On - November 30, 2024 / 04:07 PM IST

मथुरा (उप्र), 30 नवंबर (भाषा) मथुरा के फराह प्रखंड के कोह गांव में 64 हेक्टेयर में फैली जोधपुर झाल आर्द्रभूमि को एक पक्षी अभयारण्य के तौर पर विकसित किया जा रहा है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि आगरा में सुर सरोवर पक्षी अभयारण्य से महज आठ किलोमीटर दूर और भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से 35 किलोमीटर दूर इस आर्द्रभूमि के पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के बीच एक महत्वपूर्ण आकर्षण बनने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने आर्द्रभूमि के विकास की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार शाम इस स्थल का दौरा किया।

उन्होंने यहां किए जा रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया और पर्यावरण एवं पक्षी विशेषज्ञों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर सुधार के लिए सुझाव दिए।

परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्याम बहादुर सिंह और पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा के मुताबिक, यह आर्द्रभूमि घरेलू और प्रवासी पक्षियों के लिए एक पसंदीदा स्थल बन गया है।

उनके मुताबिक, जोधपुर झाल को एक पक्षी अभयारण्य के तौर पर विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं जिससे मथुरा और आगरा आने वाले पर्यटकों को यहां आकर्षित किया जा सके।

सिंह ने कहा, “इस अभयारण्य को सिकंदरा और टर्मिनल राजवाह जैसे जल स्रोतों की सुरक्षा कर संरक्षित किया जा रहा है और प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्त पारितंत्र का निर्माण करने के उपाय किए जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “प्राकृतिक आवास विकसित किए जा रहे हैं और पक्षियों के प्रजनन तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पौधे लगाकर घना जंगल तैयार किया जाएगा। निर्माण कार्य फरवरी तक पूरा होने की संभावना है जिसके बाद एक हरित गलियारा स्थापित किया जाएगा।”

अधिकारियों के मुताबिक, इस अभयारण्य में सात जलाशय, 13 द्वीप और 220 मीटर लंबा प्राकृतिक रास्ता होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यहां आगंतुकों के आराम के लिए 13 झोपड़ियां बनाई जाएंगी। निगरानी टावर जैसी सुविधाएं, एक जैव विविधता अध्ययन केंद्र, संगोष्ठी हॉल, पार्किंग, जालपान केंद्र और शौचालय भी विकसित किए जा रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि स्थानीय युवकों को गाइड के तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना पर 8.66 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

‘बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी’, आगरा से पक्षी विशेषज्ञ डा. कृष्ण प्रताप सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 और 2021 के बीच किए गए अध्ययनों में इस आर्द्रभूमि में पक्षी की 181 प्रजातियों की पहचान की गई जिसमें 33 प्रजाति के प्रवासी पक्षी शामिल हैं।

भाषा सं राजेंद्र खारी

खारी