(किशोर द्विवेदी)
लखनऊ, 14 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने तीन प्रमुख तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के अध्यक्षों से राज्य के शहरी क्षेत्रों में “हेलमेट नहीं तो ईंधन नहीं” नीति के कार्यान्वयन में सहयोग देने का आग्रह किया है।
इस पहल का उद्देश्य दोपहिया वाहन सवारों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को काफी हद तक कम करना है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सड़क सुरक्षा के लिए व्यापक जागरूकता अभियान और उपाय करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि दुर्घटनाओं में हर साल करीब 25,000-26,000 लोगों की जान जाती है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के आलोक में, परिवहन विभाग ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को ‘“हेलमेट नहीं तो ईंधन नहीं” नीति लागू करने और दोपहिया वाहन सवारों को ईंधन न देने के लिए पत्र लिखा था।
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने 13 जनवरी को प्रमुख तेल कंपनियों को लिखे पत्र में जोर देकर कहा कि सड़क हादसों में लोगों की जान जाने या घायल होने की बढ़ती घटनाओं ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गंभीर रूप से ध्यान आकर्षित किया है। इस पत्र की प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास है।
इस नीति में यह भी अनिवार्य किया गया है कि अगर मोटरसाइकिल चालक या उसके पीछे बैठा व्यक्ति हेलमेट नहीं पहना है, तो उन्हें ईंधन नहीं दिया जाए।
पत्र की प्रतियां सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, खाद्य और आपूर्ति विभाग और परिवहन विभाग को ‘सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए’ भेजी गई हैं।
कंपनियों से पत्र में कहा गया है कि नीति हेलमेट अनुपालन को बढ़ावा देगी, दुर्घटनाओं के दौरान घायलों होने वाले लोगों की संख्या कम करेगी, मोटरसाइकिल चालकों के बीच व्यवहार में बदलाव लाएगी और जवाबदेही को बढ़ावा देगी।
इसमें कहा गया कि ईंधन स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और अनुपालन की निगरानी करने से नीति का पालन सुनिश्चित होगा।
तेल कंपनियों के लिए लाभों पर प्रकाश डालते हुए, आयुक्त ने कहा, ‘इस जीवन रक्षक पहल का समर्थन करने में आपका नेतृत्व आपके संगठनों को सार्वजनिक सुरक्षा में प्रतिबद्ध हितधारकों के रूप में स्थापित करेगा।”
सिंह ने तत्काल हस्तक्षेप की भी अपील करते हुए कहा, ‘आपकी सक्रिय भागीदारी अनगिनत लोगों की जान बचा सकती है और अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय उदाहरण स्थापित कर सकती है। यह सहयोगात्मक कदम न केवल सड़क दुर्घटनाओं को कम करेगा बल्कि जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिकता में भी योगदान देगा।’
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं के 36,875 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 21,696 लोग घायल हुए जबकि 24,109 लोगों की जान चली गई। पिछले पांच वर्षों में, राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है।
भाषा किशोर जफर
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